प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही भारत को एक नया विदेश सचिव भी मिल गया है। 15 जुलाई 2024 से वरिष्ठ राजनयिक विक्रम मिस्री ने भारत के 35वें विदेश सचिव के रूप में पदभार संभाला। उनका अनुभव, रणनीतिक सोच और मजबूत प्रशासनिक पृष्ठभूमि उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए एक उपयुक्त चेहरा बनाते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विक्रम मिस्री का जन्म 7 नवंबर 1964 को श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बर्न हॉल स्कूल (श्रीनगर), डीएवी स्कूल, कार्मेल कॉन्वेंट (उधमपुर) और सिंधिया स्कूल (ग्वालियर) से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक और XLRI जमशेदपुर से एमबीए किया।
सरकारी सेवा में आने से पहले विक्रम मिस्री ने विज्ञापन उद्योग में लगभग तीन वर्षों तक कार्य किया, जिसमें उन्होंने Lintas India (मुंबई) और Contract Advertising (दिल्ली) जैसी प्रतिष्ठित एजेंसियों में काम किया।
भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश और करियर
1989 बैच के IFS अधिकारी विक्रम मिस्री ने अपने राजनयिक करियर की शुरुआत के बाद से यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका में कई प्रमुख भारतीय मिशनों में सेवाएं दी हैं।
उनके प्रमुख विदेशी पोस्टिंग में शामिल हैं:
- ब्रसेल्स, ट्यूनिस, इस्लामाबाद, वॉशिंगटन डीसी
- म्यूनिख में कौंसल जनरल
- श्रीलंका में उप उच्चायुक्त
- स्पेन में राजदूत (2014)
- म्यांमार में राजदूत (2016)
- चीन में भारत के राजदूत (2019-2021)
चीन में उनकी नियुक्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही, खासकर गलवान घाटी संघर्ष के दौरान, जब उन्होंने भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय और विशेष भूमिकाएं
विक्रम मिस्री उन चुनिंदा अधिकारियों में से हैं जिन्होंने तीन प्रधानमंत्रियों — आई.के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी — के निजी सचिव के रूप में काम किया। इसके अलावा, वे प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं।
भारत सरकार ने उन्हें 1 जनवरी 2022 से 30 जून 2024 तक डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (रणनीतिक मामलों) के रूप में नियुक्त किया था।

विदेश सचिव के रूप में भूमिका
15 जुलाई 2024 को उन्होंने भारत के विदेश सचिव का पदभार ग्रहण किया। यह पद विदेश मंत्रालय का सबसे उच्च प्रशासनिक पद होता है। विदेश सचिव का कार्य देश की विदेश नीति के क्रियान्वयन, द्विपक्षीय वार्ताओं, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की रणनीति को समन्वित करना होता है। वे विदेश मंत्री के प्रमुख सलाहकार भी होते हैं।
हाल ही में, जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, तब विक्रम मिस्री ने कई महत्वपूर्ण प्रेस ब्रीफिंग कीं और भारत की स्थिति को स्पष्टता के साथ दुनिया के सामने रखा।
सैलरी और सुविधाएं
विदेश सचिव को भारत सरकार के सचिव स्तर का वेतन मिलता है जो लगभग ₹2,25,000 प्रति माह होता है। इसके अलावा उन्हें कई सरकारी सुविधाएं मिलती हैं, जैसे:
- सरकारी आवास (आमतौर पर चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में)
- राजनयिक पासपोर्ट
- सरकारी वाहन और सुरक्षा
- अन्य प्रशासनिक लाभ
कैसे बनते हैं विदेश सचिव?
इस पद तक पहुंचने के लिए IFS अधिकारी को कम-से-कम 30 वर्षों का अनुभव, उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड, और रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। विदेश सचिव की नियुक्ति Appointments Committee of the Cabinet (ACC) द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री शामिल होते हैं।
व्यक्तिगत जीवन
विक्रम मिस्री हिंदी, अंग्रेज़ी और कश्मीरी भाषा में दक्ष हैं और फ्रेंच भाषा का भी कार्य-ज्ञान रखते हैं। वे Aspen Institute USA के India Leadership Initiative के फेलो भी रह चुके हैं। उनकी पत्नी डॉली मिस्री हैं और उनके दो बच्चे हैं।
निष्कर्ष
विक्रम मिस्री का करियर इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत, निरंतरता और राष्ट्र के प्रति समर्पण कैसे एक व्यक्ति को भारत के सर्वोच्च प्रशासनिक पदों में से एक तक पहुंचा सकता है। अब जब वे विदेश सचिव की भूमिका निभा रहे हैं, तो देश को उनसे वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति को और मजबूत करने की उम्मीद है।
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